गीता-माहात्म्य: जीवन जीने की कला (Gita-Mahatmya: Jeevan Jeene Ki Kala) – This title highlights the Gita-Mahatmya as an art of living

श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में जो माहात्म्यपरक वंदना आती है, वहीं से इसका शुभारंभ होता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वैपायन व्यास के मुख से निकला स्तुति का वाक्य है- गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः । या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिःसृता ।। “जिसका गायन किया जा सके, ऐसा सुंदर काव्य है गीता। इसके गायन व मनन करने के बाद … Read more

कलश और दीपक का महत्व

कलश (कलश) और दीपक (दीपक) प्रमुख वैदिक प्रतीक हैं जो क्रमशः गायत्री और यज्ञ की अभिव्यक्तियों का प्रतीक हैं। चूंकि गायत्री और यज्ञ को वेदों और वैदिक विज्ञान और संस्कृति का मूल माना जाता है, इसलिए हर संस्कार में, हर शुभ अवसर पर कलश और दीपक की उपस्थिति और पूजा वैदिक संस्कृति में और इसलिए … Read more

क्या है श्राद्ध का असली रहस्य ।Shradh kyu kiya jata hai

श्राद्ध का मतलब श्रद्धा से श्राद्ध शब्द बना है। श्रद्धापूर्वक किए हुए कार्य को श्राद्ध कहते हैं। सत्कार्यों के लिए, सत्पुरुषों के लिए आदर की, कृतज्ञता की भावना रखना श्रद्धा कहलाता है। उपकारी तत्त्वों के प्रति आदर प्रकट करना, जिन्होंने अपने को किसी प्रकार लाभ पहुँचाया है, उनके लिए कृतज्ञ होना श्रद्धालु का आवश्यक कर्तव्य … Read more