काफी दिनों से एक युवक अपने पड़ोस की युवती के इर्द-गिर्द चक्कर लगाया करता था। युवती भी उसकी ओर आकृष्ट हुई और एक दिन युवक ने एक अँगूठी खरीदी तथा पड़ोसिन लड़की के पास जाकर बोला, “मिस! क्या आप मेरी भेंट की हुई अंगूठी पहनना पसंद करेंगी ?
युवती ने अपने बाएँ हाथ की हथेली युवक की ओर इस प्रकार बढ़ा दी कि उसकी चौथी उँगली शेष उँगलियों से ऊपर रहे। युवक ने वह अँगूठी अनामिका में पहना दी। बाद में लोगों को पता चला तो पूछा, “यह किसकी अँगूठी पहनी है?”
युवती ने उनके उत्तर में उक्त युवक का नाम ले दिया और लोगों ने समझ लिया कि ये दोनों युवा हृदय निकट भविष्य में दांपत्य जीवन में प्रवेश करने वाले हैं। अमेरिका के अधिकांश क्षेत्रों में विवाह की मँगनी या सगाई की रस्म की यही पद्धति है। एक विशेष डिजाइन की अँगूठी देखकर लोग समझ जाते हैं कि अमुक लड़की अभी अदत्ता है अथवा विवाहित या मंगेतर। फिलहाल तो अमेरिका में यह परिपाटी उसी प्रकार लुप्त होने लगी है, जिस प्रकार कि हमारे देश में सगाई की वर्तमान रस्म। अब वहाँ भी चट मँगनी पट ब्याह होने लगे हैं और खट् तलाक भी हो जाते हैं। अधिकांश लोग इस परंपरा का अनुकरण करते हैं।
- जापान
जापान में विवाह के समय लड़की को सफेद वस्त्र पहनाए जाते हैं, जो शोक के चिह्न समझे जाते हैं। माना जाता है कि लड़की का संबंध अपने पितृकुल से सदा को समाप्त हो रहा है। रात को पुरोहित तथा पुरोहिताइन सफेद वस्त्र पहने वधू को वर के घर ले जाते हैं। लड़की के जाने के बाद मायके में उसी प्रकार सफाई और शुद्धि की जाती है, जिस प्रकार कि हमारे यहाँ मृतक शरीर को श्मशान में ले जाने के बाद की जाती है। उसी दिन घर पर दावत दी जाती है। वर और वधू नौ बार शराब को अधरों से छूते हैं तथा वस्त्र बदलकर पुनः शराब को ओंठों से लगाते हैं। इसप्रकार विवाह हो गया मान लिया जाता है। तथा सरकारीकार्यालय में विवाह का पंजीयन करा लिया जाता है।
2.चीन
चीन में विवाह के समय लड़की एक लाल रंग की कुरसी पर बैठती है। यद्यपि उसे वस्त्र तो अच्छे पहनाए जाते हैं, पर श्रृंगार बिलकुल नहीं किया जाता। हमारे देश में जिस प्रकार वर बरात लेकर वधू के घर जाता है, उसी प्रकार चीन में वधू वर के यहाँ जाती है और वर उसका स्वागत करता है तथा वर और वधू के सिर के बालों का ग्रंथि-बंधन किया जाता है।
3.उत्तरी स्कॉटलैंड
उत्तरी स्कॉटलैंड में वर भावी पत्नी को कोई वस्तु भेंट करता है। यदि वधू उसे नियत अवधि तक सँभाले नहीं रहती है तो विवाह-संबंध नहीं होने दिया जाता; क्योंकि जो एक वस्तु ही सँभालकर न रख सकी, वह पूरा घर कैसे सँभालेगी।
4.अमेरिका
अमेरिका के कितने ही भागों में आदिवासियों द्वारा विवाह के अवसर पर वर-वधू के ऊपर हिरन मारकर उसका ताजा खून छिड़कते हैं। इससे समझा जाता है कि दंपती के कई अनिष्टों का निवारण हो गया तथा वे सुखी दांपत्य जीवन जी सकेंगे।
5.अबीसीनिया (Ethiopia)
अबीसीनिया में वर-वधू की उँगलियों को मोड़कर एकदूसरी में फँसा दिया जाता है। अंकुश की तरह फँस चुकी उँगलियों को चिरस्थायी विवाह-संबंधों की गारंटी समझा जाता है। बीजा नामक स्थान में वर-वधू की उँगलियों से रक्त निकालकर भोजन में मिलाकर खाने को दिया जाता है। एक समारोह में इसी पद्धति को संपन्न कर विवाह हुआ मान लिया जाता है।
6.आयरलैंड
आयरलैंड के कुछ क्षेत्रों में वधू के सिर पर बनी बनाई पकी हुई रसोई का घड़ा फोड़ा जाता है। इस प्रथा के वि अनुसार यह विश्वास किया जाता है कि नवदंपती के घर में खाने-पीने का कभी अभाव नहीं रहेगा।
7. न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड में वर-वधू को इकट्ठा कर वहाँ के बड़े बुजुर्ग लोग विवाह हो गया, की घोषणा कर देते हैं और मान लिया जाता है कि विवाह हो गया। सुमात्रा में भी प्रकारांतर से यही पद्धति विवाह के लिए अपनायी जाती है।
8.न्यू गायना
न्यू गायना जहाँ के आदिवासी नरभक्षी होते हैं, उनलोगों की प्रथा बड़ी विचित्र है। विवाह से पूर्व वर औरकन्या की अनुमति ली जाती है और प्रायः एक ही स्त्री सेदो पुरुष विवाह करने के लिए झगड़ उठते हैं, पर वधू उनदोनों में से किसी को नहीं मिलती। ऐसे अवसर पर या तोकबीले का सरदार उस लड़की से शादी कर लेता है अथवा कोई तीसरा व्यक्ति, जिसे कि सरदार चुनता है।
9. मोरक्को
मोरक्को में विवाह-मंडप में धूप लोबान का धुआँ दिया जाता है और वर वधू को अपनी गोद में उठाकर घर से बाहर ले जाता है। बाहर ले जाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वधू के पैर कहीं जमीन को न छू जाएँ। ये सब विधि-विधान नवदंपती को भूत-ब्याधा से बचाने के लिए सतर्कता की दृष्टि से पूरे किए जाते हैं।
10.कैलिफोर्निया
कैलिफोर्निया में विवाह के अवसर पर वर-वधू एकदूसरे को नोचते हैं। दोनों में से जिसके शरीर पर ज्यादा नख-चिह्न होते हैं, उसके प्रतिपक्षी को प्रबल समझा जाता है और माना जाता है कि दांपत्य जीवन में वही प्रभावी भी होगा।
11. तुर्की
तुर्की तथा यूनान में विवाह के समय पर वर-वधू एक- दूसरे पर जूते फेंकते हैं। जूते फेंकने की प्रक्रिया नवदंपती को टोने-टोटके से बचाने के लिए की जाती है।
12.ट्रांसलवानिया
ट्रांसलवानिया में विवाह के समय कन्या को दो अन्यसहेलियों के साथ बैठा दिया जाता है तथा वर से कहा जाता है कि अपनी भावी पत्नी को पहचाने। न पहचान पाने वाले वर का भी विवाह तो हो जाता है, पर यह मान लिया जाता है कि वह बड़ा अभागा है। इस्थोनिया में यही प्रक्रिया लड़की का वेश बनाए साले के साथ की जाती है। वह भी घूँघट मारकर (परदा ढककर) अपनी बहन के साथ बैठ जाता है तथा वर को अपनी पत्नी का पता लगाना पड़ता है।
13. अफ्रीका
अफ्रीका के कई क्षेत्रों में विवाह की रात दुलहा अपने दरवाजे पर नंगी तलवार लेकर सारे समय पहरा देता रहता है। इस भय से कि कहीं उसकी पत्नी के आस-पास मँडराने वाली दुष्ट आत्माएँ प्रभावित न कर दें, बेचारा न तो बैठ सकता है और न ही सो सकता है। एक बात और, जब तक दंपती कोई बच्चा न जन्म दें, विवाह कच्चा समझा जाता है। अधिक समय तक निस्संतान रहने पर संबंध- विच्छेद भी हो जाते हैं।
दक्षिणी अफ्रीका की जंगली जातियों में विवाह के अवसर पर बैल के गले की झालर पत्नी के हाथ पर लपेट दी जाती है और जो भाग शेष बचता है, वह वर के लिए भेज दिया जाता है।
14.स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड में अमेरिका की भाँति युवती को अँगूठी के स्थान पर फूल भेंट किए जाते हैं। युवती द्वारा फूल स्वीकार कर लेने का अर्थ विवाह की सहमति समझ लिया जाता है। कुछ क्षेत्रों में फूल लड़की के बिस्तर पर रख दिया जाता है। नियत अवधि के बाद युवक फूल को वहाँ नहीं पाता तो बड़ी प्रसन्नता से घर में प्रवेश करता है; क्योंकि लड़की ने फूल उठाकर विवाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और यदि फूल वहीं मुरझाया हुआ पाया जाता है तो समझा जाता है कि प्रस्ताव ठुकरा दिया गया।
15.आस्ट्रिया
आस्ट्रिया में एक विशिष्ट नृत्य कार्यक्रम में चाँदी का एक सिक्का सफेद कागज में लपेटकर लाल फीते से बाँध दिया जाता है तथा अभीष्ट कन्या के हाथ में रख दिया जाता है। अगर वह सिक्का तीन दिन तक कन्या ने अपने पास रख लिया और नहीं लौटाया तो समझ लिया जाता है कि प्रस्ताव स्वीकृत हो गया।
16.हंगरी
हंगरी में विवाहार्थी युवक अपनी इच्छित प्रेयसी के घर शाम के समय जाता है तथा लड़की की माँ से कहता है, “आपकी बेटी मुझे एक दीयासलाई की सींक देने का कष्ट उठाएगी?” यदि लड़की दीयासलाई लेकर आँगन में आ जाए तथा युवक की सिगरेट अपने हाथों से सुलगा दे तो मँगनी हो गई मान ली जाती है और मँगनी यदि अन्यत्र कहीं हो गई हो तो लड़की की माँ कह देती है कि दीयासलाई में तो पहले से ही आग लग गई है। युवक निराश होकर लौट जाता है तथा अन्य घरों के दरवाजे खटखटाता है।
17.मलाया
मलाया में विवाह के लिए मध्यस्थगण चाँदी की एक थाली में कुछ उपहार ले जाते हैं और युवती के माता-पिता को देते हैं। अभिभावक यदि बरतन को उलट दें तो समझा जाता है कि शादी की बात अन्यत्र तय हो चुकी है और बरतन ज्यों का त्यों रखा हो तो विवाह की सारी बातें ठहराई जाएँगी।
18. तिब्बत
तिब्बत में कुछ समय पूर्व तक जो भी युवक विवाह करना चाहता था, वह अपने मित्रों के साथ अभीष्ट कन्या के घर में घुस जाता और लड़की को घोड़े पर बैठाकर चल देता। घर के लोग उसका पीछा करते तथा शोर मचाते। बाद में वर-वधू दोनों परिवार के लोग मिल-जुलकर दावत करते। लड़की तीन दिन तक वर के साथ रहती। यदि उसे अपना पति नापसंद होता तो वह पिता के घर वापस आ जाती औरविवाह संबंध टूट जाता। ऐसी लड़कियों को चरित्रहीन नहीं,वरन बड़ी भाग्यशालिनी समझा जाता था तथा समाज मेंउसकी और उसके परिवार की प्रतिष्ठा भी बढ़ जाती।
इन पंक्तियों में विश्व के अनेक भागों में प्रचलित विवाहपद्धतियों की विचित्रता का परिचय दिया गया है। पढ़कर आश्चर्य होना भी स्वाभाविक है और हँसी आना भी। मनुष्य का स्वभाव है कि वह दूसरों पर हँसने अथवा उन्हें पिछड़ेपन का शिकार कहकर तिरस्कृत करने में जरा भी देरी नहीं करता, पर निष्पक्ष दृष्टि से देखा जाए तो हमारे यहाँ की विवाहपद्धति और कितनी ही परंपराएँ कुछ कम विचित्र नहीं हैं।
यदि दूसरे देशों में वहाँ के निवासियों को भारतीय समाज की विवाहपद्धति का परिचय दिया जाता होगा तो वह कुछ इसी प्रकार का हो सकता है कि भारत में विवाह के समय वर घोड़े पर बैठकर गले में कटार टाँगकर वधू के घर अपने परिवार के लोगों सहित पहुँचता है।
वधू के घर पर उसकी माँ वर का स्वागत करती है तथा उसकी पूजा करती है। बदले में वर हठ करता है किसी चीज के लिए। यदि वधू के परिवार वालों की स्थिति न देने जैसी होती है तो वर के साथी तथा माता-पिता भी वर की ओर हो जाते हैं तथा डराते-धमकाते हैं।
रोने, गिड़गिड़ाने या बाद में देने का वायदा करने पर वर मान जाता है तो ठीक, अन्यथा वधूपक्ष को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और किसी से कर्ज लेकर व्यवस्था करनी पड़ती है।
विवाह के बाद जब कन्या को विदा कर दिया जाता है तो माँ-बाप का जी बड़ा हलका हो जाता है। उन्हें अपनी बेटी को जेवर-आभूषणों से सजाकर, नवदंपती को मनपसंद उपहार देकर भेजना पड़ता है। उस समय वर का मिजाज बहुत तुनकपसंद और सनकी रहता है तथा यह भी कि भारत में वर को भोजन कराते समय भी जिद करने का अधिकार है। वह चाहे जो माँग सकता है और कन्यापक्षको उसकी ये माँगें पूरी करनी ही पड़ती हैं, अन्यथा घर पर लड़की को ससुराल पक्ष वाले तरह-तरह से सताते हैं तथा कन्यापक्ष से अपनी मुँहमाँगी रकम या रुपये वसूल करते हैं।
विश्व में प्रचलित विवाह-प्रणालियों की तुलना में यहाँ प्रचलित शादी के रस्म-रिवाज कम विचित्र नहीं हैं। दूसरे क्षेत्रों के विवाह तो वहाँ के रीति-रिवाजों के कारण हास्यास्पद चित्र ही प्रस्तुत करते हैं, पर हमारे यहाँ की परिपाटियों के चित्र सहृदय लोगों की करुणामूलक भावनाओं को उभारते हैं। कन्यापक्ष की दयनीय दुर्दशा देखकर उनका हृदय हमारी निष्ठुरता पर जार-जार रोता होगा।